मैं और मेरे अह्सास
नये साल में सब के होठो की मुस्कुराहट बनो l
अपने और अपनों के लिये सुख की आहट बनो ll
हर सबा हर शाम खुशगवार बने जिंदगी की l
रसीली खुशियो से जीवन में सरसराहट बनो ll
छोटे बड़ो का भेद भूलाकर क़ायनात मे l
मजबूरो के दिन रात की थरथराहट बनो ll
मत सोचों क्या पाओगे किसी को देकर कुछ l
आज दुआओं को बटोरकर जगमगाहट बनो ll
सब को प्यारी सी मसर्रतें बाँटकर जहां मे l
सखी दिलों की हसी की छलछलाहट बनो ll
सबा - भोर की हवा
मसर्रतें - ख़ुशियाँ
दर्शिता