वल्लभ भाई पटैल का......
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वल्लभ भाई पटैल का, वन्दनीय है काम।
भारत के निर्माण में स्वर्णांकित है नाम।।
पिता भाई झावेर जी,मात लाड़वा लाल।
सौंपजिगरके खून को,उनने किया कमाल।।
नाडियाड गुजरात में, रहे कृषक परिवार।
लंदन से शिक्षित हुये,प्रखर बुद्धि भंडार।।
स्वाभिमान रग रग भरा,चेहरे में था नूर।
ऊँची शिक्षा प्राप्त की, अहंकार से दूर।।
अन्यायों के सामने, ताना सीना नेक।
जनता के हित के लिये,मुद्दे लड़े अनेक।।
बारडोली सत्याग्रह, थी हाथों में डोर।
झुका दिया सरकार को,सबके जीवन भोर।।
अपेक्षायें सबकी बढ़ीं, और रही दरकार।
जनता ने सम्मान दे,नाम दिया सरदार।।
गांधी का युग था तभी,उनने किया प्रणाम।
आन्दोलन से जुड़ गये,शीर्ष हुआ था नाम।।
विनम्र भाव के थे धनी,अलग रहा व्यक्तित्व।
गांधी नेहरु सरदारजी, के हाथों नेतृत्व।।
आजादी की भोर को, देख रहा था देश।
बागडोर इनको मिले, तो बदले परिवेश।।
कर्मठ थे वे देश के, दिखा गये नई राह।
पीएम पद की दौड़ में,नहीं दिखा उत्साह।।
विचारों में थी भिन्नता,किन्तु ध्येय था येक।
सफल हुये हर कार्य में, राष्ट्रपुत्र थे नेक।।
गृहमंत्री के रूप में, एकीकरण प्रयास।
उपप्रधान मंत्री बने, हुये देश के खास।।
दूरदर्शिता शिवा की,गीता के सुविचार।
कार्यदक्षता में प्रखर,अर्जुन सी टंकार।।
कूटनीति कौटिल्य की, अंगद का था पैर।
जहाँ रखा फिर न हटा, सबने माँगी खैर।।
छोटे-छोटे राज्य में, बटा हुआ था देश।
आपस में लड़ते रहे, विचित्र रहा परिवेश।।
सभी रियासत एक कर,किया अनोखा काम।
भारत में शामिल किया,नहीं रुके अविराम।।
जूनागढ़ राजा भगा, बस गया पाकिस्तान।
हैदराबाद निजाम ने, सौंपी राज कमान।।
मसला था कश्मीर का,जो नेहरु के हाथ।
आज तलक सुलझा नहीं,सभी पीटते माथ।।
भारत के वे रत्न थे, युनिटी के आधार।
लौह पुरुष के रूप में, हर सपने साकार।।
कभी नहीं चाहा मिले, मान और सम्मान।
मोदी जी ने दे दिया,उनको ऊँचा स्थान।।
प्रतिमा को ऊँचा बना,दिया विश्व संदेश।
भारत के वे पूत थे, सिंहों जैसा वेश।।
पौरुष साहस के धनी, माँ का था आशीष।
वल्लभभाई पटैल को, देश नवाता शीश।।
मनोज कुमार शुक्ल 'मनोज'