अकेलापन
यह जो अकेलेपन की बातें तुम किया करते हो ना ?
वह एक जटिलता है !
किसे तुम दिखाना चाहते हो ?
अपने अकेले होने की दुर्दशा !
जब कोई आए तुम्हे पूछने ,
कैसे हो ?
तब क्यों नही बताया
अपना हाल , मन की ज्वाल !
तुम अगर कहते हो किसी को बताकर
पड़ेगा क्या फर्क ?
ज्यादा नहीं शायद
तुम्हारा गम होगा जरा सा कम !
बीच बाजार में जब कोई पहचाना मिल जाए,
तब जो नजरे चुराकर भागा करते हो;
इन्ही आदतों ने तुम्हे खोखला बनाए है रखा !