सुबह होत भई जंग जुबानीं।
रिश्ते-नातेदारों से पक के,
बाबू(पिता) जी मांगें कुर्बानी....सुबह..
भयो बड़ौ नहीं ब्याह करैगो,
का सुंदर कुल में स्याह भरैगो।
कहो पूत तुम कहा करैगो,
मेरो एक कहा नहीं मानी....सुबह..
इच्छाछुरी की धार तेज हौ,
कामदेव को बढ़ल वेग हौ।
दिन-दिन बाढ़त जात निशानी,
या जुग की जही एक कहानी....सुबह..
परनारी लागै फुलवारी,
सर जाकै इनकी गोद धरैगो।
कैसे पितर भवसार तरैगो,
जानूं हूँ तेरी मन मानी....सुबह..
क्रमशः...✍️
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