One more Rape Case in Kanpur
My New Poem ...!!!
दहेज मे जलती लाशें और जिस्म नोचते मंजर है
बेटी कहती मां से ए माँ कोखमें मरना बेहतर है
फ़ैली अय्याशी की बद-हवासी,ज़हर जीदगीं है
जिस्मफरोशीकी गलिच़ नियतौंसे घायल रुँह
तडपता जिस्म बना खिलौना,बेबस मौत आम है
हैवानियत दरीँदगीं की सीमाएँ तौडे हर बँधन है
आज बंद-बख्त इन्सान ही इनसान का दुश्मन है
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-Rooh The Spiritual Power