नमो नमो
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शांत सौम्य दृढ़ निश्चयी
समुद्र सा गहरा हिमालय सा ऊँचा,
गरीब परिवार का बालक
अपनी जिजीविषा के दम पर
सत्ता के शीर्ष पर विराजित
अनेकों कुचक्रों का का विषपान कर
जैसे शिवत्व को पा गया।
अपनी जिद को अवसर बनाया
जितना पीछे ढकेला गया
उतना और आगे बढ़ता गया।
सबके दिलों मे उतरता गया
आज पूरी दुनियां में छा गया
अपनी कार्यशैली से संसार में छा गया सबको मोहित कर लिया
अपना मुरीद बना लिया,
जीते जी खुद को अमर कर लिया
अद्भुत व्यक्तित्व के रुप में एक अकेला
सब पर भारी पड़ गया।
एक तरफ सबका चहेता तो
दूसरी ओर खौफ और जूनून का
पर्याय भी आखिर बन गया,
अपनी माँ की कोख को
अमरता का अहसास करा दिया,
संत सरीखा जीवन जीता
पुरुषार्थ को नवमार्ग दे दिया ।
◆सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.
8115285921
©मौलिक, स्वरचित