ये कैसा अंतर्द्वन्द्व चल रहा है,तुम्हारे और मेरे बीच में ।अब इस मोड़ पर आकर न इज़हार है न इकरार है हमारे बीच में ।तुम जानते हो मैं तुम्हें कनखियों से देख रही थी, जब तुम मुझे निर्निमेष निहार रहे थे।तुम आतुर थे मैं संयत थी,पर बाहर से। ये कैसा अंतर्द्वन्द्व चल रहा है मेरे तुम्हारे बीच में ।
-Anjana Vyas