मैं और मेरे अह्सास
फरिश्ते सोया नहीं करते हैं l
सरहद पर पहरा भरते हैं ll
खून की बाजी लगा कर l
सदा जी जान से लड़ते हैं ll
वतन - ए - इश्क़ के मारे l
अपनों की जुदाई सहते है ll
बेमिसाल बहादुर जांबाज l
दस को मार कर मरते हैं ll
खुद को जख्म देके भी l
चैन दुश्मन का हरते है ll
दर्शिता