कॉन्स्टेबल ने इशारे से कुछ दिखाया।
"सर, ये दो दाने मिलें हैं जो किसी घुंघरू के दाने जैसे हैं, और यहाँ से कपड़े का टुकड़ा भी मिला है जो शायद ज़बरदस्ती करते समय फटा होगा। किसका हो सकता ये सब पता लगाना होगा।"
"हम्म, अब पंगा ये है कि घुंघरू के दाने तो लाश से सम्बंधित लग ही नहीं रहे, और अगर हुए भी तो किसके पैर के हो सकते हैं ये भी पता लगाना पेचीदा काम है। कपड़े के टुकड़े से तो जेंट्स के कपड़ा का ही टुकड़ा लग रहा है।"
जयराम ने टूटे हुए चप्पल को दिखाया। इंस्पेक्टर ने उसे भी सबूत के तौर पर ही शामिल करते हुए कहा, "ये भी एविडेंस हो सकता है, उठाओ इसे और इसका भी पता लगाओ।"
"सर, इस तालाब पर नहाने या बाकी काम के लिए सिर्फ औरतें ही आतीं हैं तो ये दोनों दाने किसी औरत का ही होना चाहिए या फिर संयोग भी हो कि किसी के पायल से ऐसे ही टूट कर गिरा हो।" कॉन्स्टेबल जयराम ने चप्पल को रखते हुए कहा।
"सर, यहाँ कहीं भी ना खून के धब्बे हैं और ना हथियार है इसलिए शायद गला घोंट कर मारा गया होगा।" कॉन्स्टेबल चौधरी ने कहा।
"हाँ बहुत हद तक मुमकिन है। वैसे भी ये तालाब वाला एरिया है तो शोर मचने वाली हरकत से हर कोई बचना चाहेगा। और यहाँ का माहौल देखकर लग नहीं रहा यहाँ जल्दी कोई अपना मुँह खोलेगा।"
इधर सुधांशु अपने घर के बाहर अपनी मेन्टल अवस्था के साथ मस्त था। और अंदर सुशांत अपने तरीके से महोबा की पूजा करने में लगा था क्योंकि कुछ ऐसी बात थी जिसका उसे डर था।
"अगर ज़रा भी मुँह खुला, तो ज़िन्दगी भर तुम्हारा मुँह कोई नहीं देख पायेगा। कान खोलकर सुन लो और अपने अंदर दफना लो कि हमारी परधानी और घर की इज्जत पर बात आयी तो सूरज देखने के लिए तरस जाओगी।"
"हम्म कुछ नहीं कहेंगे। लेकिन गाँव वाले..." अभी महोबा ने अपनी बात आधी ही कही थी।
""गाँव वालों को क्या कहना है वो भी हम देख लेंगे लेकिन तुम्हारे मुँह से या इन हाथों से भी कहीं कुछ इशारा हुआ, तो अभी से सोच लो, क्योंकि इसके बाद सोचने का भी मौका नहीं मिलेगा।"
सुशांत ने महोबा को पकड़कर इतना ज़ोर से धकेला कि वो सीधे किचन के दरवाज़े में भिड़ने से बची। इस झटके से सुशांत ने जो कलावा बांधा था, उसमें जड़े घुंघरू जैसे दाने खनखना उठे। वो तड़प उठे थे या खुश थे, कहना मुश्किल था। सुशांत वहाँ से निकला और उसे जाता देख कर सुधांशु भी खुश था। उसने घर की तरफ देखा और पागलों की तरह हँसते हुए अंदर चला गया।
और इधर पुलिस टीम लगी थी केस में अपना सर खपाने।
"सर, मेरे दिमाग में एक और बात आयी है।" कॉन्स्टेबल जयराम ने कहा।
"बोलो जयराम।" इंस्पेक्टर ने कहा।
"दोनों औरतें पेट से थीं, जो मर गयीं हैं। ये पता करना चाहिए कि यहाँ पिछले दिनों में कितने गर्भपात हुए हैं या ऐसी कितनी औरतों को मारा गया है।" (क्रमशः)