Hindi Quote in Story by Abhilekh Dwivedi

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इंस्पेक्टर और बाकी सहयोगियों ने अपना-अपना स्थान दबोचा और इंस्पेक्टर ने गरज के साथ छींटे उड़ाए।
"नमस्कार प्रधान जी! कैसे हैं? लगता है यहाँ कुछ भी ठीक नहीं चल रहा?"
तब तक महोबा को इशारा कर दिया गया था कि चाय-मठरी ले आये। महोबा भी भाग कर गयी रसोई में। भागना कितना ज़रूरी है लाइफ में!
"काहें इंस्पेक्टर साहेब? सब तो ठीके है। कउनो सिकायत आयी है का? या कउनो अउर बात है?"
"पिछले एक सप्ताह में दो मौत हुई हैं। दोनों महिलाएँ थीं और दोनों पेट से थीं, दोनों की लाशें तालाब से मिली हैं। आपको कुछ खबर है?" इंस्पेक्टर ने सवाल करते हुए सुधांशु की तरफ देखा और सवाल किया, "ये कौन है? पहले तो कभी नहीं दिखा?"
"ऐसी तो कोई खबर नहीं आयी थी इंस्पेक्टर साहेब। इ हमरा छोटा भाई है, दिमाग से थोड़ा बच्चा है। कब हुई है उनकी मौत?"
तब तक महोबा चाय-मठरी लेकर हाजिर हो गयी। उसकी नज़र इंस्पेक्टर से टकराई और वो फिर उसी खंबे के ओट में टिक गयी।
"कब हुआ, कैसे हुआ ये जितनी भी बातें हैं, उसी की तफ्तीश के लिए आये हैं। अगर आपको नहीं पता है तो इसका मतलब है, यहाँ किसी को भी नहीं पता होगा और कैसे पता नहीं है, यही पता लगाना है हमको।" महोबा को देखते ही उसने पूछा, "ये तुम्हारी पत्नी है न, क्या नाम है तुम्हारा? तुमको कुछ पता है?"
"महोबा रानी नाम है हमरा। हमको ई सब के बारे में कुछ भी नहीं पता, हम कुछ भी नहीं जानते।" उसकी नज़रें सुशांत से मिली और डर ने कुण्डी खड़काई फिर सुधांशु को देखते हुए उसने कहा, "हम वैसे भी कुछ दिन से तालाब तक गए नहीं तो ठीक से पता नहीं है।"
"जमुनिया और गुलबिया से आखरी मुलाकात कब हुई थी।"
"ठीक से याद नहीं, वो दोनों वैसे भी हमारे जाने से पहले या बाद में ही आते थे। अब आते-जाते कभी दिखी, कभी नहीं दिखी। महीना भर तो हो गया होगा देखे हुए।" महोबा ने सफाई दी।
"तालाब पर आखरी बार कब गयी थी?"
"एक सप्ताह हो गया।"
"हम्म। उनको भी मरे हुए एक ही सप्ताह हुआ है।"
इतना कहकर इंस्पेक्टर और कॉन्स्टेबल्स उठे वहाँ से आगे प्रस्थान करने के लिए। इंस्पेक्टर ने निकलते समय ही सुधांशु पर नज़र गड़ा कर शिकंजा कसने का इशारा कर दिया था। सीनियर की देखा-देखी कॉन्सटेबल ने भी थोड़ी अपनी वैल्यू दिखाई। वहाँ से निकलकर वो निकले उसी जगह, जहाँ से लाश मिली थी। जहाँ हर मामला पंचायत निपटाता हो वहाँ पुलिस आ जाए तो मामला थोड़ा संजीदा है, ऐसा अनुमान सभी को हो गया। उनको तालाब के पास मंडराते देख सबकी बोलती बंद हो चुकी थी। इंस्पेक्टर वहीं तालाब के चक्कर काट रहे थे और कॉन्सटेबल पांडेय, चौधरी और जयराम झाड़ियों में कुछ ढूंढने में लगे थे।
"डॉक्टर के रिपोर्ट के अनुसार दोनों ही पेट से थीं, ऐसे में कौन मारेगा? रेप भी हुआ लेकिन मुश्किल है पता लगाना कि यहाँ ऐसा कौन करेगा?" बुदबुदाते हुए इंस्पेक्टर ने कॉन्सटेबल पांडेय को आवाज़ लगायी, "पांडेय जी, कुछ मिला वहाँ से?" (क्रमशः)

Hindi Story by Abhilekh Dwivedi : 111749056
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