शीर्षक: गुरु-प्रणाम
गुरु ज्ञान के, तरुवर
गुरु शिक्षा के, सरोवर
गुरु जीवन के, चंदन
गुरु चरणों मे, वंदन
बिन गुरु, जीवन नहीं आसान
गुरु सिद्धियों के होते, आसमान
निज हित त्याग बनते, भगवान
हर गुरु को प्रणाम व आत्म-नमन
बचपन से लेकर जीवन तक देते, मार्ग- दर्शन
शिष्य की उन्नति से गुरु करते, स्वयँ को प्रसन्न
त्याग उनका अतुल्य, नहीं करते कभी अभिमान
तभी तो गुरु को अपने से ऊँचा कहते, भगवान
जीवन- सारः जो गुरु देते वो ही होता, अमृत पान
गुरु कृपा मिले तो, स्वच्छ-सरोवर बन जाता, इंसान
ज्ञान का दर्पण न हो धुंधला, तो करो गुरु का सम्मान
"कमल" करे, गुरुओं को प्रणाम, समझ जग-भगवान
✍️ कमल भंसाली