My Meaningful Poem…!!!
एक फिरौन पर नहीं
मुश्तमिल अना परस्ती
हमने हर एक शख्स के
तीखे तेवर में खुदा देखा हैं
एक अना पर ही नहीं
डूबती जीवन नैया 🛥 है
हमने अहंकारके भँवरमें
ग़रक सल्तनतों को देखा है
नमरुद हिटलर सद्दाम
गद्दाफ़ी ओर भी जाने कितने
शहंशाहों को वक़्त की
दहलीज़ पर दम तोड़ते देखा है
एक अहंकार ही एसा नशा
जो बाकि सब नशों पर हावी है
हमने अना की डगर पर ही
महलों को खंडहर बनते देखा है
में में में की गिरफ़्त से बचा
न बचेगा जहाँ का सुल्तान कोई
हमने आनेवाले दौर की हर
पेंशन गोइँ में भी अना ही को ..!!
पेंशन गोइँ = Forecasting
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