06/08/2021,
विषय- कश्मकश,
जिन्दगी एक कश्मकश है,
जिन्दगी कभी सरल नहीं होती,
इन्सान सोचता कुछ है,
और होता कुछ ओर ही है,
जिंदगी एक कश्मकश है।
जिन्दगी एक द्वन्द्व हैं,
कभी सुख, कभी दुःख,
कभी धूप कभी छांव,
कभी खुशी कभी ग़म,
कभी आंखे हंसी कभी नम़,
जिंदगी एक कश्मकश है।
जिंदगी एक दुविधा है,
कभी साथ चलतीं हैं,
कभी चौराहे पर लाकर
खड़ा कर देती हैं,
रास्ता चुनना भी
मुश्किल हो जाता हैं,
जहां से कभी न आगे
जाया जा सकता हैं,
नहीं पीछे मूड़ सकते हैं,
जिंदगी एक असंमजस हैं।
जिन्दगी एक कश्मकश है,
जिंदगी एक संशय है,
सांसों का कोई भरोसा
नहीं है, कब खत्म हो जाय,
कब जिन्दगी थम जाय,
ये कौन कह सकता हैं?
ज़िन्दगी पशोपेश हैं,
जिंदगी एक कश्मकश है।
स्वरचित-डो दमयंती भट्ट।
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