में वहा हूँ,में यहा हूँ.
में पत्तो मे,पेड के मुल मे भी में हीं हूं.
में हर जाती मे,में हर जीव जंन्तु जानवर मे,में हीं हूँ.
जो लगे मुजे ठीक,वही में करता हूँ.
मुजे शक्ति के शीवाय कोइ भी रोक सकता नहीं,
ना में किसी के बंधन मे हूँ.
और ना ही बहार हूँ.
में तुम्हारे अंदर भी हूँ.
और बहार भी में हीं हूँ.
में देवो का देव,
कालो का काल,
में हीं महाकाल हूँ.
में भोला,
आँग का गोला सब में हीं हूँ.
में हीं जीव,हा में हीं शीव हूँ.
-Makavana Lashakar