Hindi Quote in Poem by Kamal Bhansali

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शीर्षक: उठो, चलो, शान से
मुश्किलों का शहर है, हवाओं में भी जहर है
घूटन का माहौल, फिर भी, जीने का अधिकार है

चमन था कभी हसरतों का, आज तो सन्नाटा है
जैसे चाहतों के गालों पर, कोई वक्त का चांटा है

कैसी मजबूरी ? कैसी हमदर्दी ? सबकी सोच एक है
स्वयं का विश्वास ही, सब रिश्तों में, अब भी नेक है

कल के बहाने, आज है, दोनों का एक ही अंत है
नासमझ न बनो, बिन कोई चाह के, कौन सा संत है

समेट ही लो, सब कुछ, बदल गये, हालात शहर के
जंग अंदर की हार गये, तो बाहर भी, साये बेजार के

हो सके तो, बदल डालों, खुद की बदरंगी तस्वीर को
उठो, चलो, शान से, रहने दो, यहीं, सोयी तकदीर को
✍️ कमल भंसाली

-Kamal Bhansali

Hindi Poem by Kamal Bhansali : 111738426
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