शीर्षके: तेरे जाने के बाद
तनहाइयाँ,जब दिल को उदास करती
एक दीप स्मृतियों का, जला लेता हूँ
मुझे देख, तुम किस तरह से मुस्कराती
ऐसे अहसासों से, समय बिता लेता हूँ
दर्द दिल के, तेरे सिवाय कौन सुनता ?
पँछी मन, तेरी चाहत के नभ पर उड़ता
तेरा न होना, अब मुझे और नहीं भाता
जीना मुश्किल, तेरे बिन, किसे कहता ?
जिंदगी विशेष न रही, तेरे जाने के बाद
खिन्न हुआ तन, दे रहा, हर दिन अवसाद
बगियाँ में थे फूल, उन्हें नहीं, मैं अब याद
टूट रही हर आस, किसे करुँ अब फरियाद ?
कभी मुस्करा लेता, ये सोच, फिर मिलेंगे
जन्मों के बंधन, साथी बन, कहीं तो मिलेंगे,
दर्द के ये फूल, कुछ तो साथ, शायद रहेंगे
तुम जहाँ भी रहना, प्रिय, हम पहचान लेंगे
✍️ कमल भंसाली
-Kamal Bhansali