Hindi Quote in Poem by जेनी जॉन

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आवाज़
एक आवाज़ थी वो
कभी पुकारती , कभी चीखती,
कभी कहराती , कभी सुबकती,
इधर उधर भागती, चिल्लाती,
जबरन गला अचानक घोटा किसने ?
किसने हवस का बारूद भरा उसमें?,
किसने गिराया उसपर खूनी गाज़,
पूछ रही थी सबसे वही आवाज़ ,
जिस्म छलनी कर , होकर तितर -बितर,
वह दर्द कई दिलों में गई थी ठहर।


हां , एक और आवाज़,
भागता हुआ हांफता हुआ,
ममता को पुकारता हुआ,
चीख रहा था, हर मार पर,
याह अल्लाह पुकार पुकार कर,
कहीं से आई नफरती ज़ंजीर ?
जड़ दिया बांध खंभ में ढेर कर,
दिया उन्होंने अज़ान को भी चीर ?
गुनाह सिर्फ इतना था उसका,
बच्चा नहीं था वह श्री राम का ।
बच्चा नहीं था वह…….………..!

एक और आवाज़ सुनो,
मृत चालीस सैनिकों को गिनो,
धमाकों में लहराता था तिरंगा,
नफरती ज़हर का था दंगा,
क्या कश्मीर, क्या हों कन्या,
पलटता इतिहास का था पन्ना,
हिम से कन्या साजिश की थी गंगा
गांव-गांव में हो रही थी अब चर्चा
चर्चा खुरपी, हल , कुदाल की नहीं
थी बम-धमाके तलवार या बरछा।

देश तरक्की की ओर बढ़ रहा, या
आवाजों में धीरे धीरे मिट रहा,
मिट रही है, सरस्वती की वीणा,
जी रहा इंसान मानवता के बिना,
होड़ विकास की पश्चिम से तो आई है,
कथा हमने भी चीर हरण की दोहराई है,
दोस्तों, महाभारत अब तक नहीं है थमा,
मत भूलो जीवित है, श्रापित अश्वथामा,
गली गली आवाज़ घंटी की या अज़ान है,
मौन भगवान तो खुदा भी यहां बेजुबान है।

Hindi Poem by जेनी जॉन : 111734914
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