औरतों को पुरूषों के बराबर हक मिलना चाहिए, दोनों कंधे से कंधा मिलाकर चलें। इस तरह की बाते अक्सर सुनने को मिलती है। लेकिन क्या यह सच में मुमकिन है, हमारे समाज की प्रताणित औरतें अपने हक़ के लिए लड़ती है तो मिलता केवल तलाक है हक नहीं, देखते हैं कागजी बातें धरातल पर कब पहुंचती है।
अंतरात्मा-३
-Suneeta Gond