मेघा आए
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मेघा आए ,
मन हर्षाए।
पाखी गाए ,
पंख फैलाए।
स्मित वसुंधरा,
स्नेह यूँ झरा।
वृक्ष भी हरा,
नीर है भरा।
मेघ - गर्जन,
प्रकृति नर्तन।
उठाए गर्दन,
भू करे दर्शन।।
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अभिव्यक्ति व फ़ोटो -
प्रमिला कौशिक
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