भगवान सूर्य देव☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️ साक्षात दर्शन देने वाले भगवान सूर्य देव जी आपको ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़ एवं सभी भक्तों का बारंबार प्रणाम नमन नमस्कार है आज आपका शुभ दिन रविवार इतवार और संडे.........
👉क्या आप सूर्य के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना कर सकते हैं?
नहीं....... ना
अगर आप सुबह-सुबह भगवान सूर्य के दर्शन करते हैं और उनके मंत्रों का जाप करते हैं। तो आपके जीवन में कभी भी यश, धन की कमी नहीं होगी।यदि अनुभव करना है तो आज से ही सूर्य भक्ति में जुट जाओ ....ब्रह्मदत्त
यही नहीं जीवन में बीमारियों से आप दूर रहेंगे। हिंदू शास्त्रों के अनुसार बारह राशियों के राजा है और सुबह उठकर उनकी पूजा करने वालों और दर्शन करने वालों को कभी भी जीवन में यश की कमी नहीं होती है। दिन की शुरुआत करें सूर्य देव के इन मंत्रों से आपके जीवन को यह मंत्र बदल कर रख देंगे, ब्रह्मदत्त
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सूर्य मंत्र : ऊँ सूर्याय नम: ।
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तंत्रोक्त मंत्र : ऊँ ह्यं हृीं हृौं स: सूर्याय नम: ।
ऊँ जुं स: सूर्याय नम: ।
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सूर्य का पौराणिक मंत्र :
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम ।
तमोहरि सर्वपापघ्नं प्रणतोडस्मि दिवाकरम् ।
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सूर्य का वेदोक्त मंत्र-विनियोग
ऊँ आकृष्णेनेति मंत्रस्य हिरण्यस्तूपऋषि, त्रिष्टुप छनद:
सविता देवता, श्री सूर्य प्रीत्यर्थ जपे विनियोग: ।
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मंत्र : ऊँ आ कृष्णेन राजसा वत्र्तमानों निवेशयन्नमृतं मत्र्य च ।
👉 सूर्य से प्राप्त शक्ति को सौर ऊर्जा कहा जाता है और ये ऊर्जा अक्षय है। लेकिन सुबह भगवान सूर्य के दर्शन उस वक्त करने चाहिए जब सूर्य की रोशनी भगवा रंग की हो और देखने पर रोशनी आंखों में ना चुभे। इसलिए, यह कहना गलत नहीं होगा कि सूर्य अनन्त है और इससे प्राप्त लाभ बारहमासी हैं। दिलचस्प है, हिंदुओं का मानना है कि सूर्य भगवान एकमात्र देवता हैं जिन्हें देखा जा सकता है। इसलिए, सूर्य देव हिंदू के जीवन में एक आवश्यक स्थान रखते हैं।
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👉सूर्य मंत्र : ऊँ सूर्याय नम: ।
( एकांत स्थान पर बैठे और इन मंत्रों का जाप करें)
तंत्रोक्त मंत्र : ऊँ ह्यं हृीं हृौं स: सूर्याय नम: ।
ऊँ जुं स: सूर्याय नम: ।
(अपने मस्तिष्क के बीच में आंख बंद करके भगवान सूर्य देव का बिंब तैयार करने का प्रयत्न करें)
सूर्य का पौराणिक मंत्र :
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम ।
तमोहरि सर्वपापघ्नं प्रणतोडस्मि दिवाकरम् ।
(निरंतर इनके प्रयास से आप आंख बंद करने के बाद सूर्य देव की आकृति को महसूस कर पाएंगे, ब्रह्मदत्त)
सूर्य का वेदोक्त मंत्र-विनियोग
ऊँ आकृष्णेनेति मंत्रस्य हिरण्यस्तूपऋषि, त्रिष्टुप छनद:
सविता देवता, श्री सूर्य प्रीत्यर्थ जपे विनियोग: ।
(अथक प्रयास के चलते हुए कोई भी कार्य असंभव नहीं है अपने मन में भक्ति के भाव को ऊंचाइयों तक स्थापित करें, ताकि आपके मन में और विचारों की कोई गुंजाइश न रहे ब्रह्मदत्त)
मंत्र : ऊँ आ कृष्णेन राजसा वत्र्तमानों निवेशयन्नमृतं मत्र्य च ।
हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन् ।
(भक्ति में डूबे हुए व्यक्ति को भक्ति मंत्र इंसान से देवदत्त अर्थात देवता बना देते हैं और ईश्वर से संपर्क करने का एक रास्ता दिखाते हैं....... ब्रह्मदत्त
प्रस्तुतीकरण ➖ ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़