मेरी चाहत रही हमेशा फुलो से
कांटों को कभी जाना ना था
उन्हीं राहों पर चल पड़ी हूं
जहां कोई ठिकाना ना था
बुलाते रहे मिलने को कभी
पर मिलने का कोई बहाना ना था
मौसम छाते रहे काले बादल की
पर बारिश को कभी आना ना था
धुपो से राब्ता इस कदर हो गई
छाया मे ठहरने का कोई बहाना ना था