हाय महंगाई
इतनी सी कमाई पर कैसे खर्च करें और कहां करें भाई!
कभी बात पेट की तो -कभी मार पड़े महंगाई!!
अब तो गाली भी देती लुगाई, मेरे करम फुटे नसीब की झुठे!
जब से तेरे घर पर ब्याह की घर आई!
भूल से ना अपना कभी बजाना तुम शहनाई!
अकेले जब तक हो,ठिक रहेगा भाई!!
शॉपिंग खाना घूमना फिरना,और बच्चों के संग लुगाई!
जब जाते हैं इनके संग, याद आती है महंगाई!!
पिज्जा गोलगप्पे हम ,क्या जाने क्या जाने रसमलाई!
घर में अन का दाना नहीं कहा अब हम जाई!!
हाय रे महंगाई जाने कैसी आफत लाई!
आमदनी रहे जस के तस खर्चे पर खर्चा बढत जाई!
जाने कब तक जकड़ के रखेगी भाइ¡
भूल गईनी हलवा पूरी कोफ्ते और मलाई
आई जब से महंगाई!!
दिनों दिन बढ़ती जाती है इसकी ऊंचाई
कैइसे घूमे जाइ कैसे घर चलाई?
घटती जाती हैं सुख सुविधाएं बढ़ती जाती है महंगाई!
और जरूरत कैसे पूरा हो ,जब जेब में कम हो पाइ
- maya