ज़िंदगी में हम कितने भी
आगे निकल जायें ,
फिर भी लाखों लोग
हमारे आगे रहते हैं ।
ज़िंदगी में हम कितने भी
पीछे रह जाये फिर भी
लाखों न जाने कितने
लोग हमारे पीछे रहते हैं।
हम आगे- पीछे की दौड़
के बिना अपना कर्म
मन लगाकर करते रहें
तभी हम प्रसन्न रहते हैं।
आशा सारस्वत