शीर्षक: राम-रत्न धन
कहीं धूप खिलेगी, कहीं छाँव मिलेगी
कभी प्रकाश होगा, कभी रात मिलेगी
मनवा रे, तेरी जिंदगी में ये सब बात होगी
हाँ, तेरी इन सब से, हर रोज मुलाकात होगी
तू है प्राणी जग का, सब कुछ तो सहना होगा
सफर जिंदगी का तयः करना, तो चलना होगा
हर की अपनी दास्तां, क्योंकि दुनिया से वास्ता
तेरी हस्ती कोई विशेष नहीं, जो दूसरों पर हंसता
ख्बाब देख पर, पर उनको दावेदारी का ख़ौफ़ न देना
सत्य है, सब कुछ यहीं रहना, चाहे चांदी हो या सोना
मृदुलमय हो समझना क्यों होती धूप ? क्यों छाया ?
समझ मे आ जाये, समझ,"राम-रत्न" धन तूने पाया
✍️ कमल भंसाली
-Kamal Bhansali