मन🤴❤️👸भावना संगम..15
मुंह चिढ़ाती हुई सी,दिख रही है भावना,
था अकाम सा रहता,जगा आई है कामना।
देख मन दशा बेहाल,कहीं जाये कही ना,
बेदर्द मुंख सम्भाल,है ये बात सही ना...
मुंह
अंतस उठा भुचाल कहीं ठौर मिली ना,...
तो कहीं दौर मिली ना।।
क्रमशः...✍️
#सनातनी_जितेंद्र मन कहेन