शीर्षक: मुस्कराहटों की खेती
जी हाँ, मुस्कराहटों की भी खेती होती है
लहलहाती फसल देख, जीने की इच्छा होती है
फसल बड़ी अनहोनी, हर मौसम में सुहानी है
दूर से देखों या पास से, होती बड़ी, ये रुहानी है
शबनम की बेल तरह, दिल पर पसर जाती है
किसी भी चेहरे पर हो, गुलों को बिखेर जाती है
मुस्कराहट बचपन की हो, तो तुतलाती है
जागे हुए दर्द को, लोरी बन, सुला देती है
मुस्कराहट जवानी की हो, तो रस-रंग भर देती है
सपनों में भी, उमंगों के नव-ख्बाब दर्शा जाती है
मुस्कराहट वयस्क की हो, तो कर्तव्य जगा जाती है
व्यस्त कर, नई मंजिलों की चाह पैदा कर जाती है
अंतिम चरण की मुस्कराहट आशीर्वाद बन जाती है
संयमित हो, सबके जीवन को शुभ-प्रकाश दे जाती है
मुस्कराते रहिये, मधुरता के फल प्राप्त करते रहिये
उम्र के हर मौसम में,तन-मन को उर्जित करते रहिये
✍️ कमल भंसाली