सुनो ,
मैं तुम्हारे हाथ में पकड़ी हुई
वो कलम होना चाहती हूं ...!
जो जानती है तुम्हारे मन की हर इक बात ,,,
बिखेर देती है कागज़ पर तमाम एहसास
गवाह है ,
हर उस लफ्ज़ की
जो तुमने लिखें है मेरे लिए ..
जिसे तुम लिखते लिखते .. कभी सोचते हुए होंठों से लगा लेते हो
तुमसे बेहतर जो जानती है तुमको
रहती हैं हर दम तुम्हारे पास
मैं तुम्हारे हाथ की वो कलम होना चाहती हूं ..... !!!