कुछ खोने से डर रहे हो
लफ्जों से जिंदगी गुजार रहे हो
वक्त के गहन होते, साये से घबरा रहे हो
जरा बताना, गिर रहे हो या संभल रहे हो
कल का सफर थका था, आज बता रहे हो
अपने गलत उशूलों को, जायज ठहरा रहे हो
उम्र बीत जाने के बाद, जवानी को कोस रहे हो
कभी तुम वर्तमान थे, आज उसे गलत बता रहे हो
हार को स्वीकार कर, दंभ जीत का भर रहे हो
मान गया इंसान हो, दूसरे में दानव तलाश रहे हो
✍️ कमल भंसाली
-Kamal Bhansali