जिसने त्याग किया बच्चों की खुशी के लिए।
अपनी उम्र गवां दी बच्चों की हँसी के लिए।
एक दिन सब ने किनारा कर लिए उससे।
कल फादर्स डे था किसी किसी के लिए।
पिता सलाह दे तो धता बताने लगे हैं बच्चे
झूठ बोल कर सच को छुपाने लगे हैं बच्चे।
संस्कार छूटता जा रहा पीछे दूर कहीं अब।
बड़े हो कर फादर्स डे मनाने लगे हैं बच्चे।
-Arjun Allahabadi