" एक पिता रोटी है कपड़ा हैं मकान हैं
पिता नन्हें से परिंदे का बड़ा सा आसमान हैं
पिता हैं तों घर में प्रति पल सुरक्षा हैं
पिता हैं तों ही माॅं की चूड़ी , बिंदी और सुहाग हैं
पिता हैं तों बच्चों के सारे सपने हैं
पिता हैं तों बाजार के सब खिलौने अपने हैं
पिता हैं तों ही सबकुछ अपना हैं
बाकी सब तो सिर्फ सपना हैं ।।