हा मैं खुश नही
पर खुश होने खुश होने का माजरा दिखाती हूं
छुप कर रोती हूं हमेशा
दुख शायद ही कभी बताती हुं!
अपने हर गम को छुपाती हुँ
हां मैं खुश हूं,ऎ झूठी अफवाह फैलाती हुं!
चाहत हो चाहे किसी और से
पर मां-बाप की पसंद को अपना बतातू हुँ!
नम रहती है कभी अगर आंखें
आंसू है कह कर निकल जाती हुं!
हां जीना आसान नहीं मुश्किल पलों में
ना चाहते हुए भी कभी गमो को गले लगाती हुँ!