रूह से रूह को भला कहां कोई जुदा कर पाता है।
यह जन्मों का रिश्ता है मरते दम तक साथ निभाता है।
जी तो करता है छोड़ दूँ उसकी गली आना जाना भी।
मगर क्या करें मेरा रास्ता उसके घर से हो के जाता है।
मलाल इस बात का नहीं वह देख कर मुंह फेर लेती है।
गलती मेरी है बिना देखे उसे मुझसे रहा नहीं जाता है।
-Arjun Allahabadi