शीर्षक: तुम मेरे थे
कुछ पल के लिये
तुम मेरे थे
वो पल ही सुनहरे थे
वरना
कागज की कश्ती के लिए
कहाँ किनारे थे ?
साथ बना रहें
ये एक ख्वाइश ही थी
हाथ में पतवार थी
पर साहिल की चाह न थी
गैर की मौजदूगी में
शब्द सब अधूरे थे
बदरंगी दुनिया मे
स्याह सारे सितारे थे
तुम पराये हुए
दिल न समझ पाया
फ़लसफ़ा ये प्यार का
क्या, तुम्हें रास आया ?
✍️ कमल भंसाली