मानव ने कर ली है
धरती को नष्ट करने की तैयारी
पर्वत-नदियों को काट-बांध कर
करते अपनी इच्छा पूरी
पेड़- पौधों को हटा-हटा कर
अपने को भगवान समझते
लेकिन भविष्य के खतरों से
हमेशा ही अज्ञानी बनते
प्रकृति हमेशा ही मित्र रही है
केवल देती मनुष्यों को प्राण
मिट्टी, जल और वायु देकर
किया है मनुष्यों का सम्मान
है अभी वक्त मानव समझे
प्रकृति के वरदान की कीमत
वैश्विक हो पारिस्थितिकी संरक्षण
संरक्षित करे, मनुष्य की किस्मत