My Touching Poem ...!!!
प्रभु की रीति-नित्य सदा एक ही नीति
जो कुछ तूं है बोता बस वही तूं है पाता
दाना चावल बो कर घेऊ नहीं है पाता
करनी का भी यहीं सीधा-सा फ़लसफ़ा
कर्म जैसे तूं है करता फ़ल वैसे ही पाता
जिस कोख़ से होता पयदा न उसे समझ
तेरा कोई पराक्रम ये तो प्रभु का है क्रम
जगको उसी ने बनाया ओर वही चलाता
कोरोना तो है बहाना सबक़ ही है सिखाना
धरतीं पर हद से बढ़े पापों को है मिटाना
शान इन्सानोंकी प्रभुको ठिकाने है लाना
भूल बेठे थे सब प्रभुको शाह खुद बने थे
मजबूरन प्रभु ने भी चाबूँक ही था चलाना
अब तक तो समझ ही गए हैं हर शाह कि
सुप्रीम पावर तो बस प्रभु ही को है मानना
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