My Spiritual Poem...!!!
उन की दरवेश निगाहों से
जब से दुनिया देखी
दिल तब से ही ख़ामोश है
ग़मज़दा-सा नहीं
दिल की मसलेहत सुलझीं
अब पाबंदी कोई नहीं
राज़ क़ुदरत के उजागर हूएँ
ज़हनीं बेचैनी कोई नहीं
जिस्म नूर-से वाबस्ता हूँआ
अब कोई हैरानी नहीं
दिदार तलबियाँ क़बूल हुईं
जहाँ से कोई नाता नहीं
हम उनके वह हमारे हों गए
फ़ासला अब कोई नहीं
रब की रबूबियत बेपर्दा हुई
मसला अब कोई नहीं
काश दरवेश निगाहें परखो
तो प्रभु से दूरी ही नहीं
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