अनन्त की यात्रा वैसे भी अकेले ही करनी होती है।मेरे विचार से ये इक मिथ्या हे कोई भी स्त्री या पुरूष अकेले जीवन व्यतित नही कर सकता।आपको एकांत और अकेलेपन का भेद समज आना जरूरी है।आप अगर ध्यानमय प्रवृतिमय और कार्यमय रहे तो सुखी जीवन अकेले भी व्यतित कर सकते है।
विपुल प्रीत