"लग रहा है सब तेरा पाखण्ड था , झूठ है तू केवल , झूठा तेरा हर छन्द था , हर शब्द मे देखती अपनी छवि थी , अब लग रहा है बात वो मेरी नही थी | बस यही एक बात ही काफी है , और किसी बात मे अब दम नही है | कौन सी बात तुझसे भला दूर करे नही सामार्थ्य , इसके सिवा सब नाकाफी है |"
-Ruchi Dixit