विषय: प्यार बने उपासना
प्रिय जिन लम्हों में, जिंदगी हारी
तुम मेरे पास नहीं थे, जीवन लहरी
ये साजों और समानों की दुनिया
बिन प्यार की ये कैसी है, दुनिया
प्यार यहाँ एक हथियार है, सिर्फ उलझनों का
स्वार्थ की सेज पर, संगम बिन भावनाओं का
खूबसूरती पर, कितना कुछ तुम कह देते
चाँद को, सितारों की माला तक पहना देते
आज क्यों माहौल बदला, मुझे छूने में डर लगा
मेहबूब दिल बदल गया या दिया प्यार कम लगा
किस ख्याल को अपना कहे, अलविदा ही कहे
प्रिय,शिकवों के जहाँ से विदा दे , अब यही कहे
प्यार, प्यास सिर्फ तन की न हो, आत्म-मन की भी हो प्यार,प्यार करने वालों, उपासना प्रेमित पूजा भी हो
✍️ कमल भंसाली