राधे राधे दोस्तो,
नि.र.स. केवल एक नाम नही एहसास है प्यार के बाद आई यादो का, एक सफर जो दिल को समझाता है कि वो क्या थी, क्या हुआ, कहाँ गलती रह गई मुझसे उसे पा ना सके। मगर ये एहसास में कुछ भी हो जो अंत है वो आपको कुछ बनने को कहता है, खत्म होने को नही। मैने भी उसी एहसास को मेरी नये नज्मों में रचा है। किसी एक भी एहसास से जूडे हो तो मुझे अपने एहसास लिखकर भेजे। पढे और हमेशा कि तरह निखारे मेरी कलम को।
धन्यवाद
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"नि.र.स. - 3 - यादों का सफर" by Rajat Singhal read free on Matrubharti
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