विषय: स्वयं से परेशान है
मौत हुई आसान, सांसे बन गई बेईमान
हुआ जैसा इंसान, बन गया वैसा भगवान
न लाचारी, न मजबूरी, बिगड़ी आदतों से मजबूर
देख संसार की हालात, मचा चारों तरफ हाहाकार
कुछ भी तो न करना था, दूर ही तो रहना था
मास्क लगाना, वो हाथों को समय पर धोना था
नादानियों के गुलशन में, लापरवाही के फूल बन गये
हम क्यों मौत के दस्तावेज पर, हस्ताक्षर योहिं कर गये
समय अब भी कहता, थोड़ा बदल जा मेरे दोस्त
लालच की चादर में, लंबे पांव न फैला मेरे दोस्त
यकीन कर मेरे भाई, तुम्हारा ही यह सारा जहान है
न कोई यहां छोटा, बड़ा, है, सभी स्वयं से परेशान है
सोच अब इतनी ही सही लगती, वैक्सीन जरूरी है
न दूरी, न मजबूरी, साँसों का सलामत रहना जरूरी है
✍️ कमल भंसाली