मैं और मेरे अह्सास
मेरी हर सोच मे आप की सोच होती है l
बेवजह मेरी आंखे रोज बेपनाह रोती है ll
मिलन की तड़प इस तरह बढ़ जाती है l
तेरी ही तस्वीरें देख देखकर सोती है ll
जुदाई के ख्याल से भी डर जाते हैं l
पल की दूरी मेरे दिल का चैन खोती है l
ख्वाइश तुझे पाने की यू बढ़ी के l
तेरे ही सपने दिन रात संजोती है ll
तेरी बेइंतहा मुहब्बत की जुस्तजू मेरे l
दिल मे प्यार के ज़ज्बात बोती है ll
मेरे ख्यालो मे डूब कर लिखे गए l
ख़त मे तेरे अक्षर लेखन मोती है ll
दर्शिता