रास्ते जो कभी भरी पड़ी रहती थी मेलों की तरह
शमशान की तरह घाट बन गए!
मंदिरों में जहां ताता लगा करती थी भक्तों की
वहां भगवान भी नाराज पङ गए
लाशे तो जल गई चिताओं में
बस सुलगते अरमान रह गए
बसे परिवार उजड़ गए
जहां भी देखो,सुनसान गलियां , रोती सड़क और खाली मकान रह गए!
बड़ी महंगाई कालाबाजारी
जब वक्त आई एक दूसरे की मदद करने की
जो चीजें मिलती थी ₹100 में
उसके दाम भी आसमान छू गए
जानते हुए भी सब कुछ
बस हम अनजान रह गए!
उखङती रह गई सांसे
बेबस हम इंसान रह गए
-Maya