प्रभु रथ रोको!
क्य़ा प्रलय की तैयारी है
बिना शस्त्र का युद्ध है जो,
महाभारत से भारी है…
कितने परिचित कितने अपने,
आखिर यू चले गए
जिन हाथों में धन-सबल,
सब काल से छल गए
हे राघव-माधव-मृत्युंजय,
पिघलो, ये विनती है हमारी
ये बिना शस्त्र का युद्ध है जो,
महामारी से भारी है|