समेटे हुए हालात को उलझा कर क्या फायदा ?
कुछ बातों का ना छेड़ ना ही रिश्तो को बनाए रखता है !
कोई इंसान तुम्हारे विचार से जब ना हो संमत ,
तब क्यों मनमुटाव बढ़ाकर मन दुख को जन्म देना ?
सही गलत के फैसले करना कोई खेल नहीं ,
सिर्फ दिखाई दे वह हमेशा न होता सही !
सच मानो तो जब कोई तुम पर दोषारोपण करें ,
उतने ही अड़ींग रहो आंखें न्यायधीश तो है ईश्वर !
पवित्रता कभी पहचानी नहीं चाहती मलिन ना होने से ,
खुद को साबित करने से बेहतर है कर्मयोग के बल पर इश विश्वास !
-Urmi