आज मंगलवार है महावीर का वार है जो भी सच्चे मन से ध्यावे
उसका बेड़ा पार है ब्रह्मदत्त TYAGI हापुड़ एवं सभी भक्तों का भगवान श्री राम एवं उनके प्रिय भक्त हनुमान जी को बारंबार प्रणाम नमन
👉श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारि।
बरनउँ रघुबर विमल जसु, जो दायकु फल चारि॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार।
॥चौपाई॥
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर।। जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥01
राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा
02
महावीर विक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी॥03
कंचन बरन बिराज सुवेसा। कानन कुण्डल कुंचित केसा॥04
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। काँधे मूंज जनेऊ साजै॥ 05
शंकर सुवन केसरीनन्दन। तेज प्रताप महा जग वन्दन॥ ०6
विद्यावान गुणी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर॥ 07
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया॥08
सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा। विकट रुप धरि लंक जरावा॥०9
भीम रुप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज संवारे॥10
लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुवीर हरषि उर लाये॥11
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥12
सहस बदन तुम्हरो यश गावै। अस कहि श्री पति कंठ लगावै॥13
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा॥ 14
जम कुबेर दिकपाल जहां ते। कवि कोबिद कहि सके कहां ते॥15
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा॥16
तुम्हरो मन्त्र विभीषन माना। लंकेश्वर भये सब जग जाना॥ 17
जुग सहस्त्र योजन पर भानू । लील्यो ताहि मधुर फ़ल जानू॥18
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गए अचरज नाहीं॥19
दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥20
राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे। 21
सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डरना॥ 22
आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै॥ 23
भूत पिशाच निकट नहिं आवै। महावीर जब नाम सुनावै॥ 24
नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा॥ 25
संकट ते हनुमान छुड़ावै। मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥ 26
सब पर राम तपस्वी राजा। तिन के काज सकल तुम साजा॥27
और मनोरथ जो कोई लावै। सोइ अमित जीवन फल पावै॥28
चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा॥29
साधु सन्त के तुम रखवारे। असुर निकन्दन राम दुलारे। 30
अष्ट सिद्धि नवनिधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता॥31
राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा ॥32
तुम्हरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै॥33
अन्तकाल रघुबर पुर जाई। जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई॥ 34
और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेई सर्व सुख करई॥35
संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥36॥
जय जय जय हनुमान गोसाई। कृपा करहु गुरुदेव की नाई।।37
जो शत बार पाठ कर सोई। छूटहिं बंदि महा सुख होई॥38
जो यह पढ़े हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा॥ 39
तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ ह्रदय महँ डेरा॥ 40
॥दोहा॥
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रुप।
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप॥ बोलो पवन पुत्र हनुमान जी की जय
प्रस्तुतीकरण - BANANDUTTA TYAGI
ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़
सभी हनुमान भक्त सभी श्री राम भक्तों बोले जय श्री राम