मां
मां तुम जीवन संगीत हो।
मां तुम मनमीत हो।
मां तुम ममता की मूरत हो।
मां तुम कितनी प्यारी हो।
मां तुम कितनी भोली हो।
मां तुम फूलों की क्यारी हो।
मां तुम ममता का आंचल हो।
मां तुम ममता का आंगन हो।
मां तुम स्नेह की सरिता हो।
मां तुम जीवन में कविता हो।
मां तुम रिश्तों की डोर हो।
मां तुम रिश्तों की अनंत छोर हो।
मां तुम ममता का आंचल हो।
मां तुम जीवन प्रांगन हो।
मां तुम शीतल छाया हो।
मां तुम बच्चों की साया हो।
मां तुम आनंदमयी हो।
मां तुम करुणामई हों।
मां तुम फूलों में कमल हो।
मां तुम कमल सी शीतल हो।
मां तुम पर प्रदर्शक हो।
मां तुम जीवन रक्षक हो।
मां तुम जीवन का आधार हो।
मां तुम प्रेम का पारावार हो।
मां तुम प्रेम का सागर हो।
मां तुम प्रेम और मनुहार हो ।
मां तुम बासंती फूलों का उपवन हो।
मां तुम मलय तरंग हो।
मां तुम जीवन में बहार हो।
मां तुम जीवन में प्यार ही प्यार हो।
मां तुम तो अनमोल हो।
मां तुम नवनीत सी कोमल हो।
मां तुम ताप संताप में
शीत सी अनुभूति हो।
मां तुम सुर लय और ताल हो।
मां तुम जीवन की ढाल हो।
मां तुम ममता की साधिका हो।
मां तुम सच्ची बच्चों की
प्रेमिका हो।
मां तुम जीवन का अवलंब हो।
मां तुम प्रकाश स्तंभ हो।
मां तेरे लिए शब्द अंतहीन है।
मां तुम तो ममता की शौकीन हो।
मां तेरे चरणों में शत-शत नमन।
संसार की माताओं के चरणों में शत-शत नमन ।
जैसे अष्टभुजाधारिणी महिषासुरमर्दिनी दुर्गा मां
हमारी कल्याणी मां है।
वैसे ही संसार की महिलाओं में कन्याओं में मैंने मां के रुप दर्शन किए हैं।
जहां जहां भी सिद्धि पीठ मां काली , दुर्गा जी ,
मनसा देवी , विन्ध्येश्वरी मां , तारापीठ , कल्याणेश्वरी , कालीघाट , दक्षिणेश्वरी काली मंदिर , सभी मंदिरों में पुजारियों एवं भक्तों को मां कहते सुना है।
मां शब्द मेरे हृदय में बस गया । सबकी मां मेरी मां।
काली दुर्गा संसार की मां।
कन्याओं को भी मां कहते सुना है। नवरात्र में कंजक पूजन करते हैं तो उन कन्याओं में भी तो मां दुर्गा जी का ही रुप दर्शन करते हैं।
हमारी जान पहचान बोदी, काकी मां काका सभी हमें मां ही कहते।
ऐसे कहते मां एकटू सोनो तो। एईदिके एसो।
ठाकुर मां कहती।
अब ठाकुर मां नहीं है लेकिन हमने पिताजी से पूछा था कि सभी को मां क्यों बोलते हैं। तो कहते
वे लोग बंगाल से हैं तो
इसलिए मां ही बोलेंगे।
मुझे भी आदत हो गई बोलने की मां एकटू ऐसो।
ये मेरी भावना नहीं है जो देखा सुना वही लिखा।
नेपाल बाबा भी मुझे मां कहते थे।
मंदिर में जितनी बच्चियां आती सबको मां कहते।
बड़ा ही पावन लगता सुनने में। मैं तो तब तक समझ चुकी थी कि मां क्यों बोलते हैं।
कहने का तात्पर्य यह है कि वे महिलाओं , बच्चियों में मां दुर्गा का रुप दर्शन करते थे और मुझे भी मां कहने में बहुत ही अद्भुत भक्ति की सृष्टि होती
दिखती है।
जब बाबा टीका लगाते तो बच्चियों को कहते एसो मां ऐदिके एकटू । प्रसाद नाव , माथा पर हाथ फेरते और कहते आबार ऐसो मां।
मां मां मां मां मां मां मां मां मां मां मां मां मां मां मां मां मां मां मां मां मां मां मां मां मां मां मां मां मां मां मां मां
जय दुर्गा मां ।
मां तुम अनंत हो।
-Anita Sinha