ब्याही बेटियों पर मां की ममता
कुछ यूं बरसती है.........................
इतने दिनों बाद तो आती हो, आते ही
क्यों जाने की इतनी जल्दी दिखलाती हो
अपनी सेहत का क्यों नहीं रखती ध्यान
देखो तो कितनी दुबली हुई जाती हो
मना करने के बाद भी मां प्यार से
हर बार एक रोटी ज्यादा खिलाती है
बिठा सबको साथ कितने चाव से
बचपन के कितने अनमोल किस्से सुनाती है
खोल अपनी संदूकची के पट मान
मनुहार से सूट साड़ियां छंटवाती है
माना बहुत कमाती है तू कहकर
हथेलियों में रख एक नोट वो मुस्काती है
विदाई की बेला में जल्दी आने का वादा ले
नम आंखों से गले लगा बेटियों पर
अपार स्नेह और ममता लुटाती है।
सरोज ✍️
-Saroj Prajapati