My Meaningful Poem...!!!
लोग मंदिर मस्जिद की क़तार में
खड़े हैं दुआ मांगने और चढ़ावे के लिए
बाहर सर्दी गर्मी और बरसात में
सैकड़ों खड़े थे रोटी के टुकड़े के लिए
स्वार्थ का गुलाम इन्सान आजकल
बना फिरता है हैवान तक ख़ुद के लिए
ऑंखों पर बाँधे पट्टी खोजता है प्रभु
ग़ज़ब की दौलत लुटाता रब ही के लिए
सामने खड़े तवंगर में बिराजमान प्रभु
से मुँह मोड़ ढूँढे रब ख़ुशनसीबी के लिए
क़ाश कि चड़ावे की पुंजी खर्चता गरीब
भूखे-नंगे मुफ़लिसपे दिली सुकूँके लिए
तो हक़से पाता प्रभुजी की असीम कृपा
ओर पाता मंज़िल ख़ुद-मुक्ति के लिए
मज़हब-मोहब्बत सौदा है घाटें का ही
क़ाश सौदा ये करता रबसे खुदके लिए
✍️🥀🌹🌹🌹🙏🌹🌹🌹🥀✍️