काट कर पेड़ों को अब छाव ढूंढते हैं लोग....
करके खत्म प्रकृति को अब अपने लिए सांसे ढूंढते हैं लोग....।
खेलने का बड़ा शौक था लोगों को कल तुम खेले आज उसकी बारी है....
उजाड़कर कर उसको अब क्यू रोते हो जब अपनी बारी है....।
पौधे लगाकर कर दो उसका श्रंगार वापस ,और फिर से महका दो उसे....
मां है मान जायेगी हाथ जोड़कर मना लो उसे....।
Ap.....🙏🙏